जिंदगी भर का सफ़र बेकार कर बैठा था मैं, डूबना था जिस दरिया में उसको पार कर बैठा था मैं। सामने बैठी थी और मेरा दिल न था, उसकी यादों से ही इतना प्यार कर बैठा था मैं। ©Amit Gautam doobna