घर और परदेश निकले थे घर से हम जिन्दगी के सुरूवाती दौर में ____ उम्र कब गुजर गई शहर में कमाते कमाते पता ही नही चला ©देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s Pratibha Tiwari(smile)🙂