किताब ज़िन्दगी की बाजार में नहीं है , जो सच है वो अखबार में नहीं है , हर रोज सफर कार रहे है रोटी की तलाश में , कोइ पूछ ले अब दर्द अब वो दौर नहीं है ©Spandey #life#zindagi#myshayri#new shayari #follow me for new shayari