कही दूर किसी पहाड़ी पर
कोई शहर बैठा एक खामोश सा
उसके अपने उसे तबाह कर चुके है
कई आये थे अपने सपनो के साथ
तब इसी शहर ने थामा था हाथ
भूल बैठे है आज उसी पनाह को
फ़रियाद फिर भी है उसकी रब से
मेरे बच्चे है माफ करना इनके गुनाह को #Poetry#Life#shayri#Motivational#nojotohindi#prayer#kunwarsurendra