अरमानो की आहूती देकर प्रयत्नों की ज्वालाओं को आज बुझने मत देना सुलगते सफ़हो की धीमी महक से हर्फ़ों के साज़ छूटने मत देना दर्द से नाता जोड़ते हुए दर्स से वादा टूटने मत देना सिर उठा कर चलना या सर कटाकर मरना मगर सामने गलत के अपना सिर ज़ुकने मत देना आंसुओ के सैलाब में अपने आप को बेवा बनके बहने मत देना तमस के तालाब में उजालों की रोशनी बन अपने आप को रहने मत देना आज अरमानो की आग बुझने मत देना