आज उठी जो कलम मेरी तो एक रिश्ता नायाब लिखता हूँ ना ख्वाब दो पल का, ना बस दो हंसी का साथ लिखता हूँ, हां संजोया होगा किसी ने अपनी आयत में तुझे, पर आज मैं अपनी आखरी सांस का भी तुझे हकदार लिखता हूँ। Just a wish to be yours