हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए मैं ने देखा है जो मर्दों की तरह रहते थे मसख़रे बन गए दरबार में रहने के लिए अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग नंगे भी हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए #शकील आज़मी ©Dr Navneet Sharma #नवश