Experiences and pains are enough to a learner, To learn as well earn " Whether those are of own or others". आदरणीय कमलेश जी ( कमल ) वैसे तो आप उम्र में मुझसे काफ़ी बड़े हैं परन्तु कुछ वक़्त से लगा ही नहीं के बड़े हो मुझसे, और आपको पता मुझे ये बात बेहद पसंद है उमरदराज होते हुए भी किसी बच्चे सा मन रखना किसी का, और मैं खुद ऐसे ही रहती हूँ, क्यूंकि बच्चे का मन और दिल जो होता है वो बोहत चंचल और पवित्र होता है हर किसी को स्वीकार करता और बह जाता उसी धारा में जिस ओर नदी का रुख हो, आपसे मुलाक़ात किसी का आपके लिए लिखे प्रशंसा पत्र के माध्यम हुईं थी, और मैंने पढ़ा था आपका एक लेख जिसमे मैंने खूब लम्बी प्रतिक्रिया भी दी थी, प्रभावित किया था आपकी लिखे छोटे आपके परिचय ने, लेख देश की राजनितिक स्थिति पर आधारित था, और यह हमेशा से ही मेरे लिए एक पसंदीदा विषय रहा है जिस पर मैं जी खोल कर बहस कर सकती हूँ, या लिख सकती हूँ, काफ़ी वक़्त तक आपको पढ़ती रही, आपके लेख सटीक हुआ करते थे, छोटी -छोटी आपकी रचनाएं, एक वक़्त ऐसा भी महसूस होता था कि यह इंसान हूबहू मुझ सा ही है, पर कभी आपसे इतनी बात नहीं हुईं, हाँ तो फिर भी मैंने जारी रखा आपको पढ़ना