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ग़र नासमझ हूँ मैं ज़रा, अब तो नासमझ ही रहने दो, काटो

ग़र नासमझ हूँ मैं ज़रा,
अब तो नासमझ ही रहने दो,
काटो न पर ये मेरे तुम,
संग हवाओं के हैं बहने दो...
- दक्ष (दस्तक) FLY #HIGH!
ग़र नासमझ हूँ मैं ज़रा,
अब तो नासमझ ही रहने दो,
काटो न पर ये मेरे तुम,
संग हवाओं के हैं बहने दो...
- दक्ष (दस्तक) FLY #HIGH!
dakshkumar9646

DAKSH KUMAR

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