कृष्ण की चेतावनी हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- 'जंजीर बढ़ा कर साथ मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय यह देख, पवन मुझमें लय मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल । अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें 'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि बन्ध को घेरे हैं, मैनाक -मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर 'दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, • मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर- अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर । शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र । ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जजीर बढ़ाकर साथ इन्हें, हाँ- हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। -An extract from Rashmirathi - Krishna ki chetavani (Krishna Duryodhan Samvad) ©KhaultiSyahi #Krishna #jaishreekrishna #lordkrishna #krsns #KrsnaLove #khaultisyahi #Life_experience #Mahabharat #Duryodhana