फर्ज-ए-दोस्ती.... तुझे पढना आखरी मक्सद नहीं था, तूझें पढू भी ना, और दर्द तेरा बाट लु, तेरे हिस्से का टूटना, मेरे हिस्से ले लु मेरी कुछ खुशीया तेरे नाम कर दू, तो समझ भी जाऊ, की फर्ज ए दोस्ती मैं निभा सका...... - नितीन शेळके पाटील ( NSP's Shayari ) #फर्ज-ए-दोस्ती