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खुद से तुम तक ये ज़िन्दगानी, बस इतनी सी है हमारी कह

खुद से तुम तक ये ज़िन्दगानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी।
कड़ी धूप में छाव बनकर के आई,
कभी प्यार वाली घटा बन के छाई।
कभी संग रोये कभी खिलखिलये,
तू मेरा सुकूँ बन के मुझमें समाई।
तुम्ही हो मेरी ज़िन्दगी की रवानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी।
खुद से तुम तक ये ज़िन्दगानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी। Poetry
खुद से तुम तक ये ज़िन्दगानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी।
कड़ी धूप में छाव बनकर के आई,
कभी प्यार वाली घटा बन के छाई।
कभी संग रोये कभी खिलखिलये,
तू मेरा सुकूँ बन के मुझमें समाई।
तुम्ही हो मेरी ज़िन्दगी की रवानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी।
खुद से तुम तक ये ज़िन्दगानी,
बस इतनी सी है हमारी कहानी। Poetry

Poetry