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भरोसा कुछ नहीं है ना-ख़ुदा का तलातुम-ख़ेज़ है रुख़

भरोसा कुछ नहीं है ना-ख़ुदा का
तलातुम-ख़ेज़ है रुख़ भी हवा का

मुझे हक़दार मत समझो सज़ा का
मैं मुजरिम हूँ फ़क़त जुर्म-ए-वफ़ा का

सितम-गर से कोई जा कर ये पूछे
नहीं है ख़ौफ़ क्या दिल में ख़ुदा का

मिरा सब्र-ओ-तहम्मुल बढ़ गया फिर
जो मंज़र याद आया कर्बला का

ज़माने से वफ़ा जिसने निभाई
उसे इनआम मिलता है जफ़ा का

उसे मैं पारसा  तस्लीम कर लूं
मगर इन्सा तो है पुतला ख़ता का

जो मज़लूमों के होंटों से है निकली
असर तुम देखना उस बद्दुआ  का

करो ज़ुलम-ओ-सितम तुम चाहे जितने
मैं हूँ शैदा तुम्हारी हर अदा का

हमारा नाम लेती है ये दुनिया
कहीं कैसा भी हो कोई धमाका

वो ख़ुद ही साद आ जाएगा वापिस
शजर गिर जाएगा जिस दिन अना का

©साद रूदौलवी سعدؔ ردولوی ruh e naaz Arfa Dard Sajid Voice Arzooo 

#friends
भरोसा कुछ नहीं है ना-ख़ुदा का
तलातुम-ख़ेज़ है रुख़ भी हवा का

मुझे हक़दार मत समझो सज़ा का
मैं मुजरिम हूँ फ़क़त जुर्म-ए-वफ़ा का

सितम-गर से कोई जा कर ये पूछे
नहीं है ख़ौफ़ क्या दिल में ख़ुदा का

मिरा सब्र-ओ-तहम्मुल बढ़ गया फिर
जो मंज़र याद आया कर्बला का

ज़माने से वफ़ा जिसने निभाई
उसे इनआम मिलता है जफ़ा का

उसे मैं पारसा  तस्लीम कर लूं
मगर इन्सा तो है पुतला ख़ता का

जो मज़लूमों के होंटों से है निकली
असर तुम देखना उस बद्दुआ  का

करो ज़ुलम-ओ-सितम तुम चाहे जितने
मैं हूँ शैदा तुम्हारी हर अदा का

हमारा नाम लेती है ये दुनिया
कहीं कैसा भी हो कोई धमाका

वो ख़ुद ही साद आ जाएगा वापिस
शजर गिर जाएगा जिस दिन अना का

©साद रूदौलवी سعدؔ ردولوی ruh e naaz Arfa Dard Sajid Voice Arzooo 

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