#FourLinePoetry शामों की ये ख्वाइशें, ररातो की ये बेपरवाहियां, मुसल्सल ख्वाब ये तेरा, टूटेगा न साथ ये मेरा।। ©गुरू #आजादकलाकार #AzadKalakar