तुमसे तुम्हारी ख़ैरियत पूछने आने वाले, कितने बेग़ैरत हैं धोखे खाने वाले। उसका नाम मुक़म्मल तौर पर लेना बस्ती में बहुत है उसके चाहने वाले।। झूठ बोलो तो आईने को सामने रख लेना, सुना है रंग बदलते है अफवाह उड़ाने वाले।। इल्म भी कहाँ कि धड़कन है कि नही, हक़ीम बन बैठे है मुर्दाखाने वाले।। ©विश्वविवेक dhokhe khane wale