बेखबर बेसुध से आते मुझे खवाब है तेरे चर्चे योवन के एक से एक नायाब है कहते है बड़ा अंधेरा रखते हो घर मे अब कौन समझाए दूर मुझसे मेरे आँगन का मेहताब है जिसको तैरना नही आता वो गहरे पानी मे नही जाता मुझे कौन बचाये मेरे तोह आँखों से जी टपकता सैलाब है ©dr_ravilamba ©Dr Ravi Lamba #Shaayari #hindi_shayari #Urdughazal #hindighazal #tehzeebhafi #poem #rahatindori @nojoto #Music Santosh yaduvanshi