कुछ दानव थे कविताओं में मानावहित दीर्घ कथाओं में मानव ही दानव बन बैठा दानवहित सभी दिशाओं में मैं कितना सही आभार लिखूं क्यों नफरत को मैं प्यार लिखूं कुछ बैठे हैं सरकारों में यूँ बड़े बड़े दरबारों में जो दिखते खाली मानव हैं पर सब के सब ही दानव हैं क्यों मान लिखूं सम्मान लिखूं मैं इनको क्यों इंसान लिखूं @aperichit_ . . . . #odd_poet. ©aperichit_ #Stoprape shalini singh Roy MeghA.....♥♥