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जाहिर हो जाये बो दर्द कैसा खामोशी न‌ समझ पाये बो

जाहिर हो जाये बो
 दर्द कैसा
खामोशी न‌ समझ पाये 
बो हमदर्द कैसा

ध्यानू
जाहिर हो जाये बो
 दर्द कैसा
खामोशी न‌ समझ पाये 
बो हमदर्द कैसा

ध्यानू