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डियर तुम | हां तुम ! तुम सब...😊 मित्रों ! आज रात

डियर तुम |
हां तुम !
तुम सब...😊 मित्रों ! आज रात 12 बजे के बाद एक नया दिन शुरू हो गया और मैं जो थोड़ा पहले लिखना चाहता था उसमें थोड़ा और विलंब हो गया...समय के संदर्भ में तो हर कोई निर्धन ही है और ऑफिस की व्यस्तताओं के चलते समय निकलना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है आजकल हम फाइनेंस के छेत्र से संबंधित लोगों को...दरअसल मुझे आशा ही ना थी कि मुझे कुछ इस तरह का धन्यवाद संदेश लिखने की ज़रूरत भी पड़ेगी क्योंकि मुझे आशा ही ना थी कि इतना स्नेह और प्रेम मिलेगा आप सभी लोगों से मुझ लल्लू दसहरी को... आदरणीय साहित्यकार पद्मा भूषण विष्णु प्रभाकर जी (1912~2009) की पंक्तियां हैं "प्रेम दबे पांव तुम्हारे जीवन में आता है फिर सब कुछ आवृत कर देता है"

आप में से कई लोग बहोत अच्छा लिखते हैं और समझते हैं...यहां कई से मतलब है सभी लोग...और सभी ने मुझे मेरे जोड़े तोड़े शब्दों को पढ़कर कर मुझे एक लेखक जैसा प्रेम दिया, प्रोत्साहन दिया...मैं आपसभी को बता दूं की मैं कोई लेखक नहीं हूं...मैंने साहित्य में कोई उच्च शिक्षा भी नहीं ली, मैं तो सामान्य सा कॉमर्स की पढ़ाई कर फाइनेंस के छेत्र में सलंग्न हूं और फिर कॉमर्स के लोग कैसे नीरस और सख्याओं में घूमते से लोग होते हैं, आपको पता ही है...मैं बस यूँ ही कुछ लिख लेता हूँ यहाँ आकर, क्योंकि किसी से कुछ कहने का मन नहीं करता अब...यह जगह ऐसी लगती है जैसे छीर सागर, जैसे मीठे पानी का झरना, जैसे बेशक़ीमती मोतियों का जमघट...और आप सब लोग जो भी यहाँ लिखते पढ़ते हैं, आप सभी हैं वो मोती वो मीठा पानी...सब रोज़ कुछ नया सिखाते हैं...Nibedita jee की हाइकू, Manju jee और Miss Mystry का प्रोत्साहन, Arpita jee का पेंटिंग से मेरे लेखन को दर्शाना...Sheema का मेरी बाइक को गन समझना...Farida jee, Ritika jee, THOIBI, Arundhatee jee और तुम अनुभवी बालक...आप सब लोग मित्रता, प्रेम और स्नेह की परिभाषा ही तो हो...तुम लोगों के अपर्याय प्रेम से अभिभूत हूं मैं...तुम लोगों को बदले में मैं तुम्हारे जितना प्रेम शायद न दे पाऊँ तो मुझे छमा दान दीजियेगा...

कुछ बहोत मित्र सरीखे लोगों से जान पहचान हुई, उन्हें पढ़ने का सौभाग्य मिला और मुझे प्रतीत हुआ कि उनके भी शुभकामनाओं से त्वरित विचार मुझ तक पहुंचे ही हैं जैसे...Rupinder Kaur Jee,, Satvir Kaur jee Neha Mishra jee, Supriya jee, Jyoti jee, अंकित बाजपेयी जी, @swati agrwal jee, Poonam Nain jee,  Stuti jee, Atul Aks jee, Nuri Aggarwal jee, Kulbhushan Arora jee, Aditi Pavitra jee, Arti jee, Shweta Ranjan jee, Sonam Mrinalini jee, और Vandana जी...और यदि किसी का उल्लेख होने से रह गया हो तो मुझे माफ़ कीजियेगा और कृपया अपने आशीर्वाद से वंचित न रखियेगा....

कुछ लोगों को मैं फॉलो नहीं करता इसका मतलब ये नहीं कि मुझे उनका लेखन पसंद नहीं या उनका लेखन मुझे छूता नहीं...दरअसल मुझे उन्हें ढूंढ कर पढ़ने में ही मज़ा आता है, Priya Krishnan जी अभी सिर्फ आप ही एक ऐसी हैं...आपका भी धन्यवाद...
डियर तुम |
हां तुम !
तुम सब...😊 मित्रों ! आज रात 12 बजे के बाद एक नया दिन शुरू हो गया और मैं जो थोड़ा पहले लिखना चाहता था उसमें थोड़ा और विलंब हो गया...समय के संदर्भ में तो हर कोई निर्धन ही है और ऑफिस की व्यस्तताओं के चलते समय निकलना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है आजकल हम फाइनेंस के छेत्र से संबंधित लोगों को...दरअसल मुझे आशा ही ना थी कि मुझे कुछ इस तरह का धन्यवाद संदेश लिखने की ज़रूरत भी पड़ेगी क्योंकि मुझे आशा ही ना थी कि इतना स्नेह और प्रेम मिलेगा आप सभी लोगों से मुझ लल्लू दसहरी को... आदरणीय साहित्यकार पद्मा भूषण विष्णु प्रभाकर जी (1912~2009) की पंक्तियां हैं "प्रेम दबे पांव तुम्हारे जीवन में आता है फिर सब कुछ आवृत कर देता है"

आप में से कई लोग बहोत अच्छा लिखते हैं और समझते हैं...यहां कई से मतलब है सभी लोग...और सभी ने मुझे मेरे जोड़े तोड़े शब्दों को पढ़कर कर मुझे एक लेखक जैसा प्रेम दिया, प्रोत्साहन दिया...मैं आपसभी को बता दूं की मैं कोई लेखक नहीं हूं...मैंने साहित्य में कोई उच्च शिक्षा भी नहीं ली, मैं तो सामान्य सा कॉमर्स की पढ़ाई कर फाइनेंस के छेत्र में सलंग्न हूं और फिर कॉमर्स के लोग कैसे नीरस और सख्याओं में घूमते से लोग होते हैं, आपको पता ही है...मैं बस यूँ ही कुछ लिख लेता हूँ यहाँ आकर, क्योंकि किसी से कुछ कहने का मन नहीं करता अब...यह जगह ऐसी लगती है जैसे छीर सागर, जैसे मीठे पानी का झरना, जैसे बेशक़ीमती मोतियों का जमघट...और आप सब लोग जो भी यहाँ लिखते पढ़ते हैं, आप सभी हैं वो मोती वो मीठा पानी...सब रोज़ कुछ नया सिखाते हैं...Nibedita jee की हाइकू, Manju jee और Miss Mystry का प्रोत्साहन, Arpita jee का पेंटिंग से मेरे लेखन को दर्शाना...Sheema का मेरी बाइक को गन समझना...Farida jee, Ritika jee, THOIBI, Arundhatee jee और तुम अनुभवी बालक...आप सब लोग मित्रता, प्रेम और स्नेह की परिभाषा ही तो हो...तुम लोगों के अपर्याय प्रेम से अभिभूत हूं मैं...तुम लोगों को बदले में मैं तुम्हारे जितना प्रेम शायद न दे पाऊँ तो मुझे छमा दान दीजियेगा...

कुछ बहोत मित्र सरीखे लोगों से जान पहचान हुई, उन्हें पढ़ने का सौभाग्य मिला और मुझे प्रतीत हुआ कि उनके भी शुभकामनाओं से त्वरित विचार मुझ तक पहुंचे ही हैं जैसे...Rupinder Kaur Jee,, Satvir Kaur jee Neha Mishra jee, Supriya jee, Jyoti jee, अंकित बाजपेयी जी, @swati agrwal jee, Poonam Nain jee,  Stuti jee, Atul Aks jee, Nuri Aggarwal jee, Kulbhushan Arora jee, Aditi Pavitra jee, Arti jee, Shweta Ranjan jee, Sonam Mrinalini jee, और Vandana जी...और यदि किसी का उल्लेख होने से रह गया हो तो मुझे माफ़ कीजियेगा और कृपया अपने आशीर्वाद से वंचित न रखियेगा....

कुछ लोगों को मैं फॉलो नहीं करता इसका मतलब ये नहीं कि मुझे उनका लेखन पसंद नहीं या उनका लेखन मुझे छूता नहीं...दरअसल मुझे उन्हें ढूंढ कर पढ़ने में ही मज़ा आता है, Priya Krishnan जी अभी सिर्फ आप ही एक ऐसी हैं...आपका भी धन्यवाद...