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खामोश मुसाफिर चल रहा, धीमे धीमे.... दबाये हुए कदमो

खामोश मुसाफिर चल रहा,
धीमे धीमे....
दबाये हुए कदमो की आवाज़ों को,
समाये हुए रिश्तो और रिवाज़ो को..
खामोश मुसाफिर चल रहा....

बदन पे महक है पसीने की,
हाथो में छालो के दस्ताने...
काँप रहा है रूह तक,
न जाने फिर भी कैसे संभल रहा...
खामोश मुसाफिर चल रहा....

पोटरी में बंधी है कुछ कल की उम्मीदें,
जिनसे शायद बन जाए कुछ सच्ची तकदीरे..
इसी सोच की लौ में बस,मोम बन वो पिघल रहा...
 खामोश मुसाफिर चल रहा...! 

©_इंद्रजीत_ KHAAMOSH MUSHAFIR
#fatherlove #deepinsideme  Pardeep Singhal
खामोश मुसाफिर चल रहा,
धीमे धीमे....
दबाये हुए कदमो की आवाज़ों को,
समाये हुए रिश्तो और रिवाज़ो को..
खामोश मुसाफिर चल रहा....

बदन पे महक है पसीने की,
हाथो में छालो के दस्ताने...
काँप रहा है रूह तक,
न जाने फिर भी कैसे संभल रहा...
खामोश मुसाफिर चल रहा....

पोटरी में बंधी है कुछ कल की उम्मीदें,
जिनसे शायद बन जाए कुछ सच्ची तकदीरे..
इसी सोच की लौ में बस,मोम बन वो पिघल रहा...
 खामोश मुसाफिर चल रहा...! 

©_इंद्रजीत_ KHAAMOSH MUSHAFIR
#fatherlove #deepinsideme  Pardeep Singhal