इश्क़ को वो तौफा समझती है, दिलों को ख़ुद की महबूबा समझती है, उसे हर कोई अच्छा लगता है, वो सबसे हंस के बात करती है, कई क़िस्से सुनाते है लोग, उसे बेवफ़ा बताते है लोग, उसे उस सा कोई मिला ही नहीं, वो बेंदुखी भी ऐसी बताती है, कोई उसे जीत नहीं पता है, वो हर एक को मौक़ा देती है। इश्क़ को वो तौफा समझती है, दिलों को ख़ुद की महबूबा समझती है, उसे हर कोई अच्छा लगता है, वो सबसे हंस के बात करती है, कई क़िस्से सुनाते है लोग, उसे बेवफ़ा बताते है लोग,