'अहं वृणे सुमतिं विश्ववाराम् '। "मुझे लोकहितकारी सुमति प्राप्त हो .."। (अथर्ववेदः) जीवन रचना में विचारों की प्रमुख एवं महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वस्थ्य सकारात्मक और पवित्र विचार ही उत्कृष्ट-सृजन, दिव्य-जीवन निर्मिति और सफलता के उत्प्रेरक हैं। अतः वैचारिकी शुभ हो !