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हम तरसते भाव के सैलाब है, तुम बरसते मौन की झिसी सी

हम तरसते भाव के सैलाब है,
तुम बरसते मौन की झिसी सी हो।
यूँ जो खामोशी भरे तेरे पैगाम है,
तुम महकते इत्र की शीशी सी हो।

©Pragya Amrit खामोशी के पैगाम
हम तरसते भाव के सैलाब है,
तुम बरसते मौन की झिसी सी हो।
यूँ जो खामोशी भरे तेरे पैगाम है,
तुम महकते इत्र की शीशी सी हो।

©Pragya Amrit खामोशी के पैगाम
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Pragya Amrit

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खामोशी के पैगाम