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लोगों की ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं । सपनों को

लोगों की ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं ।
सपनों को भुला कर हर रोज लिए चलते हैं ।
समझते हुए भी सब जमाने को खुश रखना पड़ेगा ।
इसलिए सुबह को साँझ लिए चलते हैं ।

लोगों की ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं ।
ऐक दिन की बात नंही हर रोज लिए चलते हैं ।

यह जो गलियों में कंही मर जाते हैं ।
मासूम आँखों के स्वप्न वंही घुट मर जाते हैं ।
ड़र जो जमाने का लगे तो समझ लेना।
बड़ते हुए कदम भी ड़र जाते हैं ।


कन्धों पे जमाने का बोझ लिए चलते हैं ।
लोगों की ख्वाहिशों को हर रोज लिए चलते हैं । Internet Jockey Nazreen Sadar Mohd Mujahid Khan Reshmi Panda Rinky Rao
लोगों की ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं ।
सपनों को भुला कर हर रोज लिए चलते हैं ।
समझते हुए भी सब जमाने को खुश रखना पड़ेगा ।
इसलिए सुबह को साँझ लिए चलते हैं ।

लोगों की ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं ।
ऐक दिन की बात नंही हर रोज लिए चलते हैं ।

यह जो गलियों में कंही मर जाते हैं ।
मासूम आँखों के स्वप्न वंही घुट मर जाते हैं ।
ड़र जो जमाने का लगे तो समझ लेना।
बड़ते हुए कदम भी ड़र जाते हैं ।


कन्धों पे जमाने का बोझ लिए चलते हैं ।
लोगों की ख्वाहिशों को हर रोज लिए चलते हैं । Internet Jockey Nazreen Sadar Mohd Mujahid Khan Reshmi Panda Rinky Rao