फ़िज़ाओं में ज़हर है कहाँ ठहरें किधर जाएं बहुत काली सहर है जहाँ देखें जिधर जाएं दूर तलक वीराना है, घना है खौफ़ का साया डरा सहमा है हर मंज़र कहीं ना सब उजड़ जाएं ग़नीमत उनकी है फिर भी जो घर में कैद बैठे हैं जो बाहर रह गए वो कैसे अपने घर जाएं किस अज़ाब में उलझा है जाने ये जहाँ सारा कहाँ से हौसला लाएं कि अज़ाबों से लड़ जाएं #अज़ाब