इस परिंदे की ख़्वाहिश बस इतनी अाकाश मिले... उनको पाने से मतलब चाहे मेरी लाश मिले..। मैं तो राहे और मंज़ील दोनो छोड़ ही दूँ... अगर किसी भी मोड़ पर रोती हुई तलाश मिले ..। अाज नहीं कल ये मंज़र यहा ज़रूर बदलेगा ... उसकी राख ही चाहे लेक़िन “ख़ब्तुल” काश मिले...। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ख़्वाहिश