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हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यू

हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, 
महफ़िल में रुसवा यूंँ न कर,
लिखना इतना आसाँ होता तो हर कोई शायर बन जाता,
दाद न देकर मेरी शायरी की तू तौहीन यूंँ न कर..
© अद्भुत✍️ #हश्र
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, 
महफ़िल में रुसवा यूंँ न कर,
लिखना इतना आसाँ होता तो हर कोई शायर बन जाता,
दाद न देकर मेरी शायरी की तू तौहीन यूंँ न कर..
© अद्भुत✍️ #हश्र
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Adbhut Alfaz

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