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ज़िंदगी दिसंबर सी जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है

ज़िंदगी दिसंबर सी जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है ..*
*वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती है !!*
*लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए..*
*और गांव के बुज़ुर्ग़ो का कहना है कि आदमी का जमीर होना चाहिए...।।*
 *चित्र* ही नहीं... 
*#चरित्र* भी सुंदर हो।"
           *भवन* ही नहीं...
           *#भावना* भी सुंदर हो।"
                    *साधन* ही नहीं...
                         *#साधना* भी सुंदर हो।"
                               *दृष्टि* ही नहीं...
                           *#दृष्टिकोण* भी सुंदर हो।""।। #december ☺😍🥰 Sohan Koted Shahid Khan. Gumnam muba writes Pàñdéy Àñuràg
ज़िंदगी दिसंबर सी जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है ..*
*वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती है !!*
*लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए..*
*और गांव के बुज़ुर्ग़ो का कहना है कि आदमी का जमीर होना चाहिए...।।*
 *चित्र* ही नहीं... 
*#चरित्र* भी सुंदर हो।"
           *भवन* ही नहीं...
           *#भावना* भी सुंदर हो।"
                    *साधन* ही नहीं...
                         *#साधना* भी सुंदर हो।"
                               *दृष्टि* ही नहीं...
                           *#दृष्टिकोण* भी सुंदर हो।""।। #december ☺😍🥰 Sohan Koted Shahid Khan. Gumnam muba writes Pàñdéy Àñuràg