कुछ इश्क़ मे मरते हैं कुछ को इश्क़ मारता है
हम तुझसे नज़रअंदाज़ होते हैं, हमें तो ये नज़रिया मारता है
हम राह तकते हैं तेरी राहों में सिर्फ़ एक झलक पाने के लिए
हमे तो कम्बख्त सामने आकर तेरा ये मुंह फेर जाना मारता है
माह दिसम्बर की धूप में जब छत पर होती हो तुम
हमे तो तेरा जुल्फों को सुखाते वक़्त उनका लहराना मारता है #Inspired#nojotophoto#morning_thought#love_for_poetry