भूल जो हर बार हम करते रहेंगे, बाद फिर तो हाँथ हम मलते रहेंगे, हुस्न की इतनी गुलामी जो करेंगे, उम्र भर तो हैं मरे मरते रहेगें, रास्ता ये अब नई पहचान का है, सो जिधर होकर चले चलते रहेंगे, इन निगाहों से मिलाओ बस निगाहें, फासले तो खुद ब खुद घटते रहेंगे, सच नहीं की शौक अब कुछ भी नहीं है, हम गरीबी में पले पलते रहेंगे, ©Kanhaiya Chaudhary #nojoto2020 #kalakaariyan #shyari