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मेरी दर्दनाक मौत पर भी जो आँखे आँसुओं से श्रृंगार

मेरी दर्दनाक मौत पर भी
जो आँखे आँसुओं से
श्रृंगार नही कर पायी
शायद! भ्रम में है 
कि शेष अभी,
मुझमें जान है।
पता नही शासन
प्रशासन में भी कैसे
बेदर्द इंसान है
परन्तु...वे भी क्या करे 
उनके घर पर सब
जिन्दा है मेरा उनसे
क्या रिश्ता।
आबाद रहो मेरे
देशवासियों! भला
शिकायत क्या है आपसे
गिला सिर्फ यही
मेरे साथ मेरे अरमानो
को भी मारा था
तो फिर मेरे 
और अरमानों के
भारी ज़नाजे से
मुझे दफनानें वाले
दब क्यो नही गये?
मेरे हमवतनों 
सच कहूँ कसूर क्या था मेरा
मैं..मैं..मैं सिर्फ 
और सिर्फ एक
भारतीय बेटी थी।
बस फरियाद मेरी यही
फिर कभी बेटी बनकर
भारत में जन्म न हो।
अलविदा..!!!

©Anil Ray आप जैसे विद्वानों के समक्ष मेरे जैसे अल्पज्ञ बालक द्वारा विचार प्रस्तुत करना विशाल जगमगाते हुये सूर्य को दीपक मात्र दिखाना है फिर भी 'संविधान' द्वारा प्रदत्त विचाराभिव्यक्ति स्वतंत्रता के तहत विचारार्थ करबद्ध निवेदन कर रहा हूँ :-
🔴सामाजिक, आर्थिक एवं कामुक पुरूष की प्रताड़ना से विवश होकर वैश्या बनी मातृशक्ति की भी यह चाहत नही होगी कि सामूहिक रूप से कोई पुरूष वर्ग उसके जिस्म को नोंचकर खाये।
इसलिए सामुहिक बलात्कार को आतंकवाद समतुल्य एक वैश्विक अपराध माना जाये।
🟠सामुहिक बलात्कारी का सम्बन्ध सिर्फ बल
मेरी दर्दनाक मौत पर भी
जो आँखे आँसुओं से
श्रृंगार नही कर पायी
शायद! भ्रम में है 
कि शेष अभी,
मुझमें जान है।
पता नही शासन
प्रशासन में भी कैसे
बेदर्द इंसान है
परन्तु...वे भी क्या करे 
उनके घर पर सब
जिन्दा है मेरा उनसे
क्या रिश्ता।
आबाद रहो मेरे
देशवासियों! भला
शिकायत क्या है आपसे
गिला सिर्फ यही
मेरे साथ मेरे अरमानो
को भी मारा था
तो फिर मेरे 
और अरमानों के
भारी ज़नाजे से
मुझे दफनानें वाले
दब क्यो नही गये?
मेरे हमवतनों 
सच कहूँ कसूर क्या था मेरा
मैं..मैं..मैं सिर्फ 
और सिर्फ एक
भारतीय बेटी थी।
बस फरियाद मेरी यही
फिर कभी बेटी बनकर
भारत में जन्म न हो।
अलविदा..!!!

©Anil Ray आप जैसे विद्वानों के समक्ष मेरे जैसे अल्पज्ञ बालक द्वारा विचार प्रस्तुत करना विशाल जगमगाते हुये सूर्य को दीपक मात्र दिखाना है फिर भी 'संविधान' द्वारा प्रदत्त विचाराभिव्यक्ति स्वतंत्रता के तहत विचारार्थ करबद्ध निवेदन कर रहा हूँ :-
🔴सामाजिक, आर्थिक एवं कामुक पुरूष की प्रताड़ना से विवश होकर वैश्या बनी मातृशक्ति की भी यह चाहत नही होगी कि सामूहिक रूप से कोई पुरूष वर्ग उसके जिस्म को नोंचकर खाये।
इसलिए सामुहिक बलात्कार को आतंकवाद समतुल्य एक वैश्विक अपराध माना जाये।
🟠सामुहिक बलात्कारी का सम्बन्ध सिर्फ बल
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator