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जय माँ दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद

जय माँ दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद-सिद्धि कल्याणी।
तुम ही हो भुक्ति-मुक्ति-दायिनी,ब्रहम स्वरूपा, भवतारिणी और भयहारिणी।

ताप तिमिर को हरने वाली डाकिनी, शाकिनी समेत भूत पिशाच भगाने वाली।
तुम ही हो आदि, अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी तुम ही हो आनंदराशी।

जय महेश भामिनी,अनेक रुप नामिनी, तुम ही हो समस्त लोक की स्वामिनी।
आदिशक्ति जगजननी माँ शुभमंगल करणी, तीनों लोकों की तुम ही हो पालन करणी। 💱रचना का सार..📖 के साथ Collab करें..√..√
🔻#Rks_रचना_संग्रह_136

💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट रूप में लिखकर wallpaper में सजाएं, जिससे रचना सुंदर प्रतीत हो..!!

💫सभी रचनाकार अपनी इच्छानुसार असीमित रचनाएँ कर सकते हैं, इसमें कोई प्रतिबंधिता नहीं है..!!

💫रचना का सार..📖 के साथ हमेशा कुछ नया सीखते रहिये व अपने मित्रों को भी सिखाते रहिये..!!
जय माँ दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद-सिद्धि कल्याणी।
तुम ही हो भुक्ति-मुक्ति-दायिनी,ब्रहम स्वरूपा, भवतारिणी और भयहारिणी।

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तुम ही हो आदि, अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी तुम ही हो आनंदराशी।

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