गर्मियों की छुट्टियां पड़ते ही नानाजी हमें लेने आ गए थे और उस से भी खुशी ज्यादा इस बात की थी कि इस बार वो हमें जोधपुर घुमाने ले जा रहे थे। हम दोनों भाइयों की उम्र उस समय लगभग 8-10 साल के बीच रही होगी। नानाजी ज्यादा टाइम रुकने वाले नहीं थे तो मम्मी पैकिंग करने में बिजी हो गई। ठीक से याद तो नहीं पर हम दोनों भाइयों में से किसी को तो पान खाने की इच्छा हो गई और इच्छा तुरंत मंजूर भी कर ली गई। मेरे घर के ठीक नजदीक ही चाय और पान की थड़ी थी,हम दोनों भाई उछलते-उछलते पान लेने गए और 2 मीठे पान बनवा कर लेकर आए। घर पर आते ही देखा तो नानाजी रवानगी के लिए एकदम तैयार थे और हमारे बैग भी। हम दोनों ने पान खाया और "अचानक" मुझे पान खाते ही चक्कर आ गए और मैं वहीं गिर पड़ा। होश आते ही पता चला कि पान वाले ने गलती से एक पान तंबाकू वाला दे दिया था,और उसे भी मेरे ही हिस्से आना था। मेरे नानाजी जल्दी में थे और मेरी तबियत खराब समझ भाई को लेकर जा चुके थे। एक बार को लगा कहीं ये भाई की साज़िश तो नहीं और गलियों में रोता हुआ दौड़ पड़ा नाना और भाई को ढूंढने..... #yostowrimo में आज की कहानी की में कुछ अचानक घटित होता है और आप कहानी के संसार में दाख़िल हो जाते हैं। विज़ुअलाइज़ करें। जैसे:- अचानक - दरवाज़े पर दस्तक होती है। अचानक - फ़ोन की बैटरी ऑफ़ हो जाती है। अचानक - पेट में तेज़ दर्द उठता है। अचानक - गली से गोलियाँ चलने की आवाज़ आती है। ऐसी कई घटनाएँ हो सकती हैं जिससे एक कहानी का जन्म हो सकता है। #अचानकएककहानी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi सच्ची कहानी है और बहुत रोया था मैं...... #truestory