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सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता

सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।

कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।

स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं,
किंतु जैसे रुधिर रंग एक ,
एक ही रखना अपनी माटी,
देश प्रेम में सब संग एक ।।

follow@aaina.nkharit

- Nitin Kr Harit सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।
कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।
सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।

कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।

स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं,
किंतु जैसे रुधिर रंग एक ,
एक ही रखना अपनी माटी,
देश प्रेम में सब संग एक ।।

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- Nitin Kr Harit सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।
कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।