"बला से जख्म दिल रिश्ते हुए नासूर बन जाए मगर कमजर्फ के हाथों से मरहम नहीं लेंगे जिन्हे तू दोस्त कहता है इन्हीं से तुझे बचना है ये बदलेंगे तो बदला दुश्मनों से कम नहीं लेंगे.. ✍️anis sabri sahab n ©Ashishwords