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मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा, ...

मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा, ...
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है, ...
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, ...
कैसे गुजरती है मेरी ...
दिल गया तो कोई आँखें भी ले जाता, ...
वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, ...
ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से, ...
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे,

©रावण Singh Surendra Singh
#SURENDARsingh
मेरी पलकों का अब नींद से कोई ताल्लुक नही रहा, ...
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है, ...
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, ...
कैसे गुजरती है मेरी ...
दिल गया तो कोई आँखें भी ले जाता, ...
वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, ...
ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से, ...
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे,

©रावण Singh Surendra Singh
#SURENDARsingh
singh8549846267204

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