जिंदगी - कठिन या आसान किसी बदलते ऋतु के समान है ये ज़िन्दगी वृद्धि और घाटों का एक रोकड़ है ये ज़िन्दगी इंसान तियासा हो तो सौम्य हाथों से पानी पिलाती है मगर अगले ही पल, मुश्किलों के विशाल चट्टान पर, मुंह के बल पटकती है ये ज़िन्दगी..!!! (Full poem in the caption. This is a special one containing names of all the performers of YQ Open Mic-1, Kolkata) जिंदगी - कठिन या आसान किसी बदलते ऋतु के समान है ये ज़िन्दगी वृद्धि और घाटों का एक रोकड़ है ये ज़िन्दगी इंसान तियासा हो तो सौम्य हाथों से पानी पिलाती है मगर अगले ही पल, मुश्किलों के विशाल चट्टान पर, मुंह के बल पटकती है ये ज़िन्दगी