#OpenPoetry जाना था तो आये क्यों थे हमको अपना बनाये क्यो थे किस ग़ुनाह की सज़ा दी हमको हम पर ज़ुर्म ये ढाये क्यों थे जाना था तो आये क्यों थे हृदय से हमको लगाए क्यों थे तुम्हारे लिए हमने दुनियां छोड़ी तुमने हमसे हाथ छुड़ाए क्यो थे जाना था तो आये क्यो थे सपने स्वर्ग के दिखाए क्यो थे हमने तुम्हें अपना बताया तुम हमको गैर बताये क्यों थे जाना था तो आये क्यों थे दिल हमरा दुखाये क्यों थे हमने तुम्हे अमृत दिया तुम जहर हमको पिलाये क्यों थे जाना था तो आये क्यों थे हमको इतना रुलाये क्यों थे पत्थर था रहने देते पत्थर तराशकर प्रेम की मूरत बनाये क्यो थे #ओ जाने वाले