सब सोचिए कब धूर्तों की है कमी इस देश में । कुण्ठा भरी कन्याऔं संग लोगों की है हर वेश में ।। अच्छा तो कुछ करना नहीं उलझे हैं सब अपराध में । क्यों न दण्ड मिल पाता इन्हें कूटो सभी हर हाल में ।। भाई बहन का भी पर्व रक्षाबंधन यही सिखाता है । रक्षा करूंगा तेरी मैं भाई का संदेश देकर जाता है ।। वैसे भी घर से निकलते ही भाई का ये दायित्व है । रक्षा बहन की वह करे यहाँ सूअरों का अधिपत्य है ।। ऐसे ही भिङ जाना नहीं होकर मुखर चिल्लाइए। मक्कार जो कुछ कर रहे एक संग सब भिङ जाइए ।। उसकी तो रक्षा कर सकें अपनी भी रक्षा चाहिए । घर से निकल कर जाइए एक बेंत डंडा राखिए ।। जय हिंद वंदेमातरम ©bhishma pratap singh #कविता #काव्य संकलन #समाज एवं संस्कृति #OneSeason