कवि पाने को तेरी दाद, सुनने चंद वाह-वाह के अल्फ़ाज, हम लिखते नही, मिले महफ़िल मेरे अशआरों को, सुनने को सुखनवारो की इरशाद, हम लिखते नही, हम लिखते है कि, लिखने से नशा होता है, हम लिखते है कि,रूह को सुकूँ होता है, हम लिखते है कि, लिखते-लिखते भूल जाते है खुद को भी,लिखते-लिखते ख़ुदाई से मिलन होता है। #poetry,#soul