ऐ मां... मैं तेरे लिए आज इतना बूरा कैसे हो गया? सबकुछ सहने के बाद भी मैं इतना अधूरा कैसे हो गया? ऐ मां.. मैं तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया? औरों की माए सारी दुनियां से करती है अपने बच्चों की तारीफें, तेरा अपना खून होकर भी मैं तेरे से अधूरा कैसे हो गया? ऐ मां.... मैं तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया। सुना है कि मां तो ममता की भंडार होती है। अपने बच्चों के लिए वो पूरी संसार होती हैं। फिर तेरे रहते हुए भी मैं इतना अकेला कैसे हो गया? ऐ मां...बोल ना... मैं तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया? तुझे हमेशा दिखती है मेरी बुराइयां। कभी तुझे मेरी अच्छाई क्यो नही दिखती? बात बात पर बना देती है मुझे झूठा, कभी तुझे मेरी सच्चाईयां क्यों नहीं दिखती। तेरे पेट से जन्म लेकर भी मैं इतना अधूरा कैसे हो गया? ऐ मां... बोल ना.... मैं तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया? याद कर कुछ दिन पहले तक, मैं तेरी हर बात माना करता था। सारी दुनिया को छोड़ कर, बस तूझे ही जाना करता था। तेरे इतने करीब होकर भी, मैं तुझसे इतना अधूरा कैसे हो गया? ऐ मां... बोल ना.... मै तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया। कभी भी प्यार से मुझे बुलाती नही है। कभी भी मेरे दर्द करते सर को सहलाती नही है। करती रहती है चाकरी अपने छोटे बेटे की, और कभी भूखा पेट आने पर बैठा के खिलाती नही है। तेरा इतना सितम सह कर भी, आज तेरे नजर में इतना बूरा कैसे हो गया? ऐ मां.. बोल ना.. तेरा बेटा होकर भी मैं तुझसे इतना अधूरा कैसे हो गया? ©Sanjeev Pandey #merimaa Sudha Tripathi