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मैं क़िस्सा तेरी कहानी का जो तूने सरेआम लिखा, मैं

मैं क़िस्सा तेरी कहानी का जो तूने सरेआम लिखा,
मैं ख़याल एक ख़्वाब सा जो तुझे सुबह शाम दिखा!
तेरी मेरी ख़्वाहिशों की बंदिशें अब आज़ाद हैं,
कुछ मसले अब भी उलझे हैं बाक़ी सब ख़्वाब हैं!

©kalpraj singh
  #poetry🖤 #kuch_baatein #kahani

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