"शिप्रा" बुंद बुंद है पवित्र तेरा वजुद ये बड़ा बनती है आगे बढ़ना ही जीवन है नदिया ये हमें सिखाती है आज कुछ पानी है नदी में कभी बहती थी कल-कल,झर-झर झूमती,नाचती पर आज कुछ चुप सी है,शिप्रा! ना जाने किन गमों में खो गई है लगता है बादल नाराज हो गई है इनसे ना बरसते हैं अब,ना गरजते हैं अब अपना सुना आँचल फैलाये किसी के इंतजार में बहती है,शिप्रा! आज कुछ आंसू है इसकी आँखों में आज कुछ पानी है नदी में ये जीवन देने को तरसती है पर अपनों के हाँथो ही सुखी पड़ गई है शिप्रा! अब किनारे भी दूर हो गए हैं किससे अपना दर्द कहे ये विचार आती है मन में हाँ जरूर कुछ पानी है नदी में सरस्वती है उसमें वो दिखती नहीं हाँ अब तो मुसाफिर भी नहीं आते नदी बस प्यास बुझाती है.... चलना ही जीवन है।। सावन का बदरी,सवन का अँजुली पवित्र जल थल,पावनी दर्शनस्थल उज्जैन का शिप्र सरोवर,हमारी क्षिप्रा! मेरे जन्मदिन पर मेरी बेटी समृद्धि शक्ति सिंह ने अपनी बुआ के नाम पर यह कविता रची।अंतिम तीन पंक्ति मैने लिखी है।। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #love #poetry #छुपारुस्तम #yqhindi "शिप्रा" बुंद बुंद है पवित्र तेरा वजुद ये बड़ा बनती है आगे बढ़ना ही जीवन है नदिया ये हमें सिखाती है