कहां ढूंढोगे मेरे जैसा आशिक़ जो तुमको टूट कर के चाहता है। बस तेरी एक झलक पाने की खातिर तेरे गलियों को हरदम छानता है। ना उम्मीद तो कभी ये होता ही नही उम्मीदों पे ही अपनी ज़िन्दगी काटता है कई बार ठूकराए जाने के बाद भी जो बस तुमको ही अपना मानता है। #Shayari #shayarzunaid #zunaidrehan