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मन का बेहिसाब शोर बाहर के शोर को दबा देता है जो च

मन का बेहिसाब शोर
बाहर के शोर को दबा देता है

जो चल रहा दिमाग में हर पल
किसी को भी दिखाई कहाँ देता है

लगता है कोई जान ले बेचैनी मन की
पर अपना-सा कोई नज़र कहाँ आता है

ख़ुद ही उलझना खुद ही सुलझना होता
मन की गाँठ कौन किसी की खोल पाता है

चलते क़दम ठोकर खाते ज़रूर
गिरकर फिर से उठ खड़ा होना होता है

मेरा तुम्हारा उसका सब व्यर्थ एक दिन
दुःख केवल दुःख से ही तो जाना जाता है

ज्वालामुखी सी पीड़ा निरंतर दहकती'निर्झरा'
मीठे वचनों का लेप शीतलता दे जाता है OPEN FOR COLLAB✨ #मनकाशोर
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts 

• Please maintain the aesthetics.
मन का बेहिसाब शोर
बाहर के शोर को दबा देता है

जो चल रहा दिमाग में हर पल
किसी को भी दिखाई कहाँ देता है

लगता है कोई जान ले बेचैनी मन की
पर अपना-सा कोई नज़र कहाँ आता है

ख़ुद ही उलझना खुद ही सुलझना होता
मन की गाँठ कौन किसी की खोल पाता है

चलते क़दम ठोकर खाते ज़रूर
गिरकर फिर से उठ खड़ा होना होता है

मेरा तुम्हारा उसका सब व्यर्थ एक दिन
दुःख केवल दुःख से ही तो जाना जाता है

ज्वालामुखी सी पीड़ा निरंतर दहकती'निर्झरा'
मीठे वचनों का लेप शीतलता दे जाता है OPEN FOR COLLAB✨ #मनकाशोर
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