शौक़ीन बरातों के, ख़ुद घोड़ी नही चढ़ते, ज्ञान बाँटने वाले तोते, ख़ुद आगे नही बढ़ते। ज़िंदगी गुज़र जाती है, दुजों के तिरस्कार में, दुनियाभर के गुरु ज्ञानी, ख़ुद को नही पढ़ते। रविकुमार शौक़ीन बरातों के, ख़ुद घोड़ी नही चढ़ते, ज्ञान बाँटने वाले तोते, ख़ुद आगे नही बढ़ते। ज़िंदगी गुज़र जाती है, दुजों के तिरस्कार में, दुनियाभर के गुरु ज्ञानी, ख़ुद को नही पढ़ते। रविकुमार