Nojoto: Largest Storytelling Platform

जरा आहिस्ते आहिस्ते चल अ- खुशनुमे पल मुझे किस्मत क

जरा आहिस्ते आहिस्ते चल अ- खुशनुमे पल
मुझे किस्मत की नजर बड़ी जल्दी लगती है।
मेरी किस्मत जरा नाराज है मुझसे
मुझे समय की मार बहुत पड़ी है।
मै भी ख़ुश हो जाऊ थोड़ा थोड़ा तो रहम कर
सुस्ताने दो समय के घोड़ो को
अभी कहा की जल्दी है
कुछ पल और सकून से जिलु जरा
कोई ऐसा बंदोबस्त तो कर,
मरने के बाद तो कंधे का सफर है श्मशान तक
फिर तो अपने भी हाथ धोयेंगे हाथ लगाने के बाद
पूरी जिंदगी धन धन किया
सांस निकलते ही निधन लिखावया
पूरी जिंदगी बहुत ब्रांड ब्रांडं किया और
चलते समय अपनों ने दो गज कफ़न भी सस्ते में लिया
जरा आहिस्ते आहिस्ते चल अ-खुशनुमे पल
मुझे थोड़ा और जीना है।
कभी ली थी महंगी महंगी गाड़िया चलने को
आज चार कंधो के लिए तरस गए
झूठी था मेरा मोह जो भी आया उसी को गले लगाया
बच्चों की जरूरते पूरी करी बड़े प्यार से
चलते समय बच्चों ने बोल दिया
क्रियाकर्म थोड़ा और जल्दी करो
जिनके लिए तपा मे काम पर
आज उनको मेरी जलने वाली आग में गर्मी लगती है
जिनको कंधे पर बिठाकर घुमाया मने
वो ही आज कंधे उचकाते है।
जरा आहिस्ते आहिस्ते चल अ-जिंदगी खुशनुमे पल
मुझे थोड़ा और प्यार निभाना है
जो जैसा मिले आखिर में वो मेरा नसीब है।

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh jangir
  #पल-दो-पल की जिंदगानी

#पल-दो-पल की जिंदगानी #कविता

57 Views