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ज़िन्दगी आजकल.. ज़िन्दगी कुछ परेशान सी है चैन खोया

ज़िन्दगी आजकल..

ज़िन्दगी कुछ परेशान सी है
चैन खोया सा है..
मग़रूर रहती हूँ आजकल
उन ख़यालों में जो मेरे तो हैं
पर जिनपे मेरा बस नहीं 
इस मगरुरियत के जिम्मेवार..
इस हालत के जिम्मेवार..
ये हालात हैं..
जो फुर्सत के पलों में भी मुझको
ख़ुद से दूर किये जाते हैं..
शायद मुझसे ज़्यादा कोई और मेरे क़रीब आ गया है
जो मुझमे ही पनपता कोई दरिंदा है..
मेरे सवालों को नोच रहा है
मेरे जवाबों को मोड़ रहा है
मुझको अंदर से तोड़ रहा है वो..
वो दरिंदा जो मुझे ही ख़ाक कर
मुझमें ही ज़िंदा हो रहा है आज की दुनिया में हर मोड़ पर नए दुश्मन बन जाते हैं, मिल जाते हैं..मगर असली जंग तो इंसान की ख़ुदसे ही है..

जो फुर्सत के पलों में भी मुझको
ख़ुद से दूर किये जाते हैं..
जो मुझमे ही पनपता है
मेरे सवालों को नोच रहा है
मुझमें ही ज़िंदा हो रहा है...
ज़िन्दगी आजकल..

ज़िन्दगी कुछ परेशान सी है
चैन खोया सा है..
मग़रूर रहती हूँ आजकल
उन ख़यालों में जो मेरे तो हैं
पर जिनपे मेरा बस नहीं 
इस मगरुरियत के जिम्मेवार..
इस हालत के जिम्मेवार..
ये हालात हैं..
जो फुर्सत के पलों में भी मुझको
ख़ुद से दूर किये जाते हैं..
शायद मुझसे ज़्यादा कोई और मेरे क़रीब आ गया है
जो मुझमे ही पनपता कोई दरिंदा है..
मेरे सवालों को नोच रहा है
मेरे जवाबों को मोड़ रहा है
मुझको अंदर से तोड़ रहा है वो..
वो दरिंदा जो मुझे ही ख़ाक कर
मुझमें ही ज़िंदा हो रहा है आज की दुनिया में हर मोड़ पर नए दुश्मन बन जाते हैं, मिल जाते हैं..मगर असली जंग तो इंसान की ख़ुदसे ही है..

जो फुर्सत के पलों में भी मुझको
ख़ुद से दूर किये जाते हैं..
जो मुझमे ही पनपता है
मेरे सवालों को नोच रहा है
मुझमें ही ज़िंदा हो रहा है...
sunitisingh5877

Suniti

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