तन्हा हूँ मैं! दिल बेज़ार है इस दिल की तड़प से राहत दे मुझे कोई तो कमाल हो! फ़िज़ाओं में ठंडक है ज़िस्म में थरथरी मेरी हथेलियाँ रखे हाथों में कोई तो कमाल हो मौसम की अँगड़ाई से रानाइयाँ महकी हैं जवाँ रुत में हमदम मिले तो कमाल हो! बाद-ए-सबा उरूज पर है कोई दिल खियांबा कर दे तो कमाल हो! महका दे सहरा को कोई ख़िज़ाँ सी ज़िंदगी को गुल-पोश कर दे तो कमाल हो! तन्हा हूँ मैं! दिल बेज़ार है इस दिल की तड़प से राहत दे मुझे कोई तो कमाल हो! फ़िज़ाओं में ठंडक है ज़िस्म में थरथरी मेरी हथेलियाँ रखे हाथों में कोई तो कमाल हो मौसम की अँगड़ाई से रानाइयाँ महकी हैं जवाँ रुत में हमदम मिले तो कमाल हो!