हां ये नक्षत्र सी चमकती हुई लड़कियां हैं ************************** उसकी हर सफलता कितनी और आंखों को स्वप्न दिखाती है उसकी एक उड़ान,जाने कितनी परियों को "पंख" दे जाती है ये लड़कियां हैं जनाब,हर राह कांटों भरी है फिर भी चलना है जितने भी काले बादल हों,सूरज के जैसे हर हाल निकलना है इनकी उड़ान और तपस्या को तुम ऐसे ही आंक नहीं पाओगे औरों से ज्यादा चमकेंगी, वर्जनाओं से अब ढांक नहीं पाओगे समाज को अब स्वीकारना ही होगा इनके समर्थ हस्ताक्षर को समय आ गया है लिखना होगा,फिर सभ्यता के स्वर्णाक्षर को हम फिर समता और पुरुषार्थ के योग से ही समाज सजाएंगे देहयष्टि से नहीं,सामर्थ्य और संकल्प के नवनायक पूजे जाएंगे हां ये नक्षत्र सी चमकती हुई लड़कियां हैं ************************** उसकी हर सफलता कितनी और आंखों को स्वप्न दिखाती है उसकी एक उड़ान,जाने कितनी परियों को "पंख" दे जाती है ये लड़कियां हैं जनाब,हर राह कांटों भरी है फिर भी चलना है जितने भी काले बादल हों,सूरज के जैसे हर हाल निकलना है